लिपि,वर्ण,वर्णमाला,स्वर,व्यंजन,उच्चारण स्थान

 

भाषा के प्रकार

1.मूल भाषा

2. मातृभाषा

3.बोली

4. प्रादेशिक भाषा

5.राजभाषा

6.सांस्कृतिक भाषा

7.अंतररास्ट्रीय भाषा


“भाषा भावों और विचारों के आदान प्रदान का साधन है|"



हिंदी


13 वीं सदी के प्रारंभ में भारत में फारसी कवि मुहम्मद औफी ने सर्वप्रथम हिन्दवी शब्द का प्रयोग किया|

16 वीं  सदी में जायसी ने भी हिन्दवी शब्द का प्रयोग किया |

उपभाषाएं

बोलियाँ

1.पश्चिमी हिंदी

कौरवी (खड़ी बोली ),वृजभाषा

हरयाणवी

बुन्देली,कन्नौजी

2.पूर्वी हिंदी

अवधी

बघेली

छत्तीसगढ़ी 

3.पहाड़ी

कुमांऊनी

गढ़वाली

4.राजस्थानी

मारवाणी

जयपुरी

मेवाती,मालवी

5. बिहारी

भोजपुरी ,मगही,मैथिलि

 

लिपि


ध्वनि चिन्हों को लिखने का ढंग, लिपि कहलाता है|

हिंदी भाषा ---------- देवनागरी लिपि

पंजाबी -------------- गुरुमुखी लिपि

अंग्रेजी -------------- रोमन लिपि

उर्दू -------------------फारसी लिपि

संस्कृत --------------देवनागरी लिपि

नेपाली ------------- देवनागरी लिपि

मराठी --------------- देवनागरी लिपि

“भाषा की मौखिक ध्वनियों को जिन चिन्हों के द्वारा लिखा जाता है उसे लिपि कहते हैं|"

देवनागरी लिपि ( 1000 से 1200 ई० )

देवनागरी लिपि का उद्भव भारत की प्राचीनतम ब्राह्मी लिपि से माना जाता है |

देवनागरी नामकरण में दो पक्ष दिए गए हैं |

1.मध्य युग में नागर  स्थापत्य शैली थी जिसमें लिपि चिन्हों को आकृतियाँ चतुर्भुज के रूप में थी इसी स्थापत्य शैली के आधार पर चतुर्भुजाकार वर्णों वाली लिपि का नाम नागरी पड़ा |

2.देवनगर अर्थात काशी में इसके विक्सित होने की वजह से इसका नाम देवनागरी पड़ा |


भाषा 

1.लिखित     2.मौखिक     3.सांकेतिक 

मुख्या रूप से 2 - >>> 1.लिखित     2.मौखिक

वर्ण<अक्षर<शब्द<पद<पदबन्ध<उपवाक्य<वाक्य 

व्याकरण के विभाग 

वर्ण/अक्षर < शब्द < वाक्य 

  • भाषा की  सबसे छोटी मौखिक इकाई - ध्वनि 
  • भाषा की सबसे छोटी लिखित इकाई - वर्ण /अक्षर 
  • भाषा की सबसे छोटी इकाई - वर्ण/अक्षर
  • भाषा की लघुत्तम सार्थक इकाई - शब्द  

वर्ण 

वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई होती है जिसके टुकड़े नहीं नहो सकते हैं |

जैसे - क्, ख्, ग् .................

वर्णमाला 

किसी भाषा के वर्णों (ध्वनि चिन्हों ) के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैं| हिंदी भाषा की वर्णमाला में कुल 49 वर्ण हैं |


स्वर (Vowels) - मात्रा के आधार पर 

वे वर्ण जिनके उच्चारण के लिए किसी दूसरे वर्ण की सहायता की आवश्यकता नहीं होती स्वर कहलाते हैं| हिंदी वर्णमाला में स्वरों की संख्या 11 है|

स्वर के भेद -
1- हृस्व स्वर(4) - जिन स्वरों के उच्चारण में बहुत कम समय लगता है उसे हृस्व स्वर कहते हैं|
जैसे - अ,इ,उ,ऋ
2- दीर्घ स्वर(7) - जिन स्वरों के उच्चारण में हृस्व स्वर से दुगना समय लगता है उसे दीर्घ स्वर कहते हैं| 
जैसे - आ,ई,ऊ,ए,ऐ,ओ,औ
3- प्लुत स्वर - इस स्वर के उच्चारण में ह्रस्व स्वर से तीन गुना समय लगता है इसलिए इसके आगे तीन का अंक लिख देते हैं |
जैसे - ओउम्
Note ---
  • मूल हृस्व स्वर की संख्या 4 है -  अ,इ,उ,ऋ
  • मूल दीर्घ स्वर की संख्या 3 है -आ,ई,ऊ
  • कुल दीर्घ स्वर की संख्या 7 है -  आ,ई,ऊ,ए,ऐ,ओ,औ
  • आगत स्वर - 
  • अयोगवाह - अं,अः

व्यंजन (Consonant)- अभ्यांतर प्रयत्न के आधार पर  

जिन वर्णों के उच्चारण में स्वरों की सहायता ली जाती है उन्हें व्यंजन कहते है|
इनके उच्चारण में मुख से निकलने वाली वायु में रुकावट होती है|
व्यंजन के प्रकार - 
स्पर्श व्यंजन (25)-(उदित वर्ण) -  से लेकर तक के वर्ण को स्पर्श व्यंजन कहते हैं| सभी स्पर्श व्यंजन पांच वर्गों के अंतर्गत आते है| प्रत्येक वर्ग का नाम पहले वर्ग के आधार पर रखा गया है|
1- क वर्ग - क, ख, ग, घ, ङ - कन्ठ 
2- च वर्ग - च, छ, ज, झ, ञ् - तालु
3- ट वर्ग - ट, ठ, ड, ढ़, ण - मूर्धा
4- त वर्ग - त, थ, द, ध, न - दन्त
5- प वर्ग - प, फ, ब, भ, म - ओष्ठ
अन्तःस्थ व्यंजन -  ये स्वर और व्यंजन के मध्य स्थित होते है इनकी संख्या 4 है|
य, र, ल, व 
ऊष्म व्यंजन- इनके उच्चारण में मुंह से गर्म स्वांश निकलती है इनकी संख्या 4 है|
श, ष, स, ह
नोट - क से ह तक कुल ३३ व्यंजन हो गए |

संयुक्त व्यंजन- इनकी संख्या 4 है |
क्ष - क्+ष् 
त्र - त्+र्
ज्ञ - ज्+
श्र - श्+र



उक्षिप्त व्यंजन-  इनके उच्चारण में जीभ ऊपर उठकर झटके के साथ नीचे गिरती है |
इनकी संख्या 2 है |   ड, ढ
पार्श्विक व्यंजन - ल
आगत व्यंजन - क़,ख़,ग़,ज,फ़ (सभी में नुक्ता लगा है)
स्पर्श संघर्षी - च,छ,ज,झ
द्विगुण /नवविकसित /उत्क्षिप्त - ड,ढ
नासिक्य वर्ण - सभी वर्ग के अंतिम अक्षर 
अर्धस्वर - य,व 
प्रकम्पित व्यंजन/लुंठित व्यंजन - र 
  • हिंदी वर्णमाला में कुल स्वर = 11
  • हिंदी वर्णमाला में कुल व्यंजन = 33
  • हिंदी वर्णमाला में कुल वर्ण = 52 ( 11 स्वर + 2 अयोगवाह + 33 व्यंजन + 4 संयुक्त व्यंजन + 2 द्विगुण व्यंजन )
  • उच्चारण स्थान के आधार पर कुल व्यंजन = 44 (11+33)
  • मात्राओं की संख्या 10 है क्यूंकि अ का कोई मात्र नहीं होता |
उच्चारण स्थान 
वर्णों का उच्चारण करते समय जीव किसी ना किसी स्थान का स्पर्श करती है इन स्थानों को उच्चारण स्थान कहते हैं
         वर्ण                                    उच्चारण स्थान 
अ,क वर्ग ,ह और विसर्ग                  कन्ठ 

इ,च वर्ग ,यऔर श                       तालु

ऋ,ट वर्ग ,र और ष                      मूर्धा 

त वर्ग ,स                               दन्त 

उ,प् वर्ग                                ओष्ठ 

ड,ञ,ण,न,म                       नासिक 

व                                दन्त और ओष्ठ 

ए,ऐ                                   कन्ठ और तालु

ओ, औ                                कन्ठ और ओष्ठ 




Post a Comment

Previous Post Next Post